Wednesday, August 4, 2010

और दाग... निकल गया...



यह कॉमिक्स संस्था के शीतल अग्रवाल इस कार्यकर्ताने बनाया।
     "सुमन का लडका शीवा उसके पिता की मौत के सदमेसे मनोरुग्ण बन जाता है। पर गाव वाले लोग उसे पागल समझते है। इसी लिये शीवा की बहेन की शादी करने के लिये भी कोई तय्यार नही होता। पर एक दिन गावं मे एक सी.बी.आर. वर्कर आता है, और वह शीवा को देखता है। तब वह सी.बी.आर. वर्कर गाववालोंको बताता है के शीवा पागल नही है, वो तो मानसिक रुप से पिडीत है और इसका इलाज भी किया जा सकता है। तब गाववालोंको अपनी गलती का एहसास होता है और गाव का एक आदमी शीवा की बहेनसे अपने बेटे की शादी कराने की सोचता है।" 

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