Monday, May 7, 2012

डिफरेंटली चेलेंन्ज्ड पीपल मेनस्ट्रीमिंग इन कम्यूनिटी


17 और 18 जुलाई 2010, औरंगाबाद



कार्यशाला का उद्देश सामाजिक जीवनमें आम आदमीकी तरह अपाहिज लोगोंको भी जीने का हक दिलाने मे सी. बी. आर. कार्यकर्ताओंकी भूमिका एवं उसका योगदान को ग्रासरुटस् कॉमिक्स के जरीये आम लोगोंतक पहुंचाना और सी. बी. आर. कार्यकर्तांओंमे कॉमिक्स के जरीये जनजागरण का एक अनोखा तंत्र विकसित करना.

कार्यशालाका एक कॉमिक्सः-
शीर्षकः- और दाग मिट गया
     यह कॉमिक्स संस्था के शीतल अग्रवाल इस कार्यकर्ताने बनाया।
इस कॉमिक्स की कथा कुछ इस प्रकार है।
     सुमन का लडका शीवा उसके पिता की मौत के सदमेसे मनोरुग्ण बन जाता है। पर गाव वाले लोग उसे पागल समझते है। इसी लिये शीवा की बहेन की शादी करने के लिये भी कोई तय्यार नही होता। पर एक दिन गावं मे एक सी.बी.आर. वर्कर आता है, और वह शीवा को देखता है। तब वह सी.बी.आर. वर्कर गाववालोंको बताता है के शीवा पागल नही है, वो तो मानसिक रुप से पिडीत है और इसका इलाज भी किया जा सकता है। तब गाववालोंको अपनी गलती का एहसास होता है और गाव का एक आदमी शीवा की बहेनसे अपने बेटे की शादी कराने की सोचता है।






Wednesday, August 4, 2010

और दाग... निकल गया...



यह कॉमिक्स संस्था के शीतल अग्रवाल इस कार्यकर्ताने बनाया।
     "सुमन का लडका शीवा उसके पिता की मौत के सदमेसे मनोरुग्ण बन जाता है। पर गाव वाले लोग उसे पागल समझते है। इसी लिये शीवा की बहेन की शादी करने के लिये भी कोई तय्यार नही होता। पर एक दिन गावं मे एक सी.बी.आर. वर्कर आता है, और वह शीवा को देखता है। तब वह सी.बी.आर. वर्कर गाववालोंको बताता है के शीवा पागल नही है, वो तो मानसिक रुप से पिडीत है और इसका इलाज भी किया जा सकता है। तब गाववालोंको अपनी गलती का एहसास होता है और गाव का एक आदमी शीवा की बहेनसे अपने बेटे की शादी कराने की सोचता है।"